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'परवाज़' कई भावनाओं की उड़ान है l समाज की विषमताओं से हैरान और परेशान भावनाएँ हों या फिर जीवन की परिस्थितियों से संघर्ष करती भावनाएँ l प्रेम रस में डूबी भावनाएँ हों या वीर रस से प्रभावित होकर, चुनौती की आँखों में घूरती भावनाएँ l सभी ने खुद को अभिव्यक्त किया है 'परवाज़' में l
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About the Book
‘परवाज़’ कई भावनाओं की उड़ान है l समाज की विषमताओं से हैरान और परेशान भावनाएँ हों या फिर जीवन की परिस्थितियों से संघर्ष करती भावनाएँ l प्रेम रस में डूबी भावनाएँ हों या वीर रस से प्रभावित होकर, चुनौती की आँखों में घूरती भावनाएँ l सभी ने खुद को अभिव्यक्त किया है ‘परवाज़’ में l ७४ साल का पहरेदार हो या फिर भीख माँगती एक न्नही बच्ची l अज़ीम मुहब्बत हो या फिर नृत्य की सुंदरता का वणन l शौर्य की परिभाषा हो या फिर चाशनी सा पकते वक़्त की चिपचिपाहट l ‘परवाज़’ अपने पाठकों तक ये सभी भावनाएँ बड़ी कोमलता और सरलता के साथ पहुँचाती है l
निशांत भूषण, एक लेखक और कवी हैं l ‘परवाज़’ उनका पहला प्रयास है अपनी कविताओं दुवारा आपसे जुड़ने का l कविताओं द्वारा उनकी अभिव्यक्ति उनके स्कूल के दिनों से शुरु हुई थी l अपनी प्राथमिक शिक्षा दिल्ली पब्लिक स्कूल, बोकारो (झारखंड) से प्राप्त करने के बाद निशांत भोपाल चले गए l वहा आपने होटल प्रबंधन में स्नातक की डिग्री प्राप्त की l कुछ समय तक आपने ओबेराँय, जयपुर, में काम किया
मगर उनकी और आगे पढ़ने की इच्छा उन्हें हैदराबाद ले गई l हैदराबाद में निशांत ने सिव सिवानी ईन्सटीत्यूट आँफ मैनेजमेंट से मानव संसाधन में डिग्री प्राप्त की आैर अब वे एक मलटी नैशनल कंपनी में कार्यरत हैं l यहां तक के सफर में, कविताओं नें निशांत का साथ कभी नहीं छोड़ा l उनके लेख एवं कविताएं, उपर्युक्त शिक्षा संस्थानों के वार्षिक प्रकाशणों में छपते रहे l उनकी कविताओं में प्रकृति व मानव प्रेम की स्पष्टता काफी मुखर है l समाज के विषमतओं पर उनकी अभिव्यक्ति, कविताओं के रुप में सफल नज़र आती हैं l आशा़है कि ‘परवाज़’ दुवारा निशांत की कविताएं आप सभी का मन छू जाएँगी 56p/Paperback/5.83×8.27″
मगर उनकी और आगे पढ़ने की इच्छा उन्हें हैदराबाद ले गई l हैदराबाद में निशांत ने सिव सिवानी ईन्सटीत्यूट आँफ मैनेजमेंट से मानव संसाधन में डिग्री प्राप्त की आैर अब वे एक मलटी नैशनल कंपनी में कार्यरत हैं l यहां तक के सफर में, कविताओं नें निशांत का साथ कभी नहीं छोड़ा l उनके लेख एवं कविताएं, उपर्युक्त शिक्षा संस्थानों के वार्षिक प्रकाशणों में छपते रहे l उनकी कविताओं में प्रकृति व मानव प्रेम की स्पष्टता काफी मुखर है l समाज के विषमतओं पर उनकी अभिव्यक्ति, कविताओं के रुप में सफल नज़र आती हैं l आशा़है कि ‘परवाज़’ दुवारा निशांत की कविताएं आप सभी का मन छू जाएँगी 56p/Paperback/5.83×8.27″